हरियाणा: करनाल में कोरोना वायरस का पहला पॉजिटिव केस, 58 वर्षीय बुजुर्ग हुआ संक्रमित

 


हरियाणा: करनाल में कोरोना वायरस का पहला पॉजिटिव केस, 58 वर्षीय बुजुर्ग हुआ संक्रमित


गांव रसीन में जिले का पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला है। गांव रसीन निवासी ज्ञान सिंह को बीती 25 मार्च को करनाल के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। चंडीगढ़ पीजीआई से आई रिपोर्ट में 58 वर्षीय ग्रामीण में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने से शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया।
 

जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए रसीन गांव की घेराबंदी कर दी। स्वास्थ्य विभाग के दल ने कोरोना पीड़ित के परिवार को आइसोलेट कर दिया है। प्रशासन ने गांव को सील करते हुए सभी ग्रामीणों की मेडिकल जांच करवाने के आदेश जारी कर दिए हैं।

घरौंडा उपमंडल के गांव रसीन निवासी ज्ञान सिंह बीते कई दिनों से बीमार चल रहा था। पेशे से किसान ज्ञान सिंह को खांसी और बुखार की शिकायत थी। बीती 25 मार्च को परिजनों ने उसे इलाज के लिए करनाल के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया था। प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, तबीयत में कोई सुधार नहीं होता देख एक मार्च को पीड़ित मरीज को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया था।

पीजीआई में हुई मेडिकल जांच में ज्ञान सिंह को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि होने के बाद प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल और स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ गांव में पहुंचे और परिवार को कस्टडी में ले लिया। इन सभी लोगों को दो एम्बुलेंस के जरिये करनाल ले जाया गया है, जहां इनकी मेडिकल जांच की गयी।


परिवार के 12 सदस्य आइसोलेट, गांव सील



रसीन गांव में पहुंचे एसडीएम गौरव कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीज के परिवार के 12 सदस्यों को आइसोलेट किया गया है। ये सभी सदस्य पीड़ित के सम्पर्क में रहे हैं। साथ ही संक्रमण की आशंका को देखते हुए पूरे गांव को सील कर दिया गया है। सभी ग्रामीणों की मेडिकल जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें नियुक्त कर दी गई हैं। 

जांच का विषय, कैसे हुआ संक्रमण 
रसीन गांव के किसान में कोरोना वायरस का संक्रमण मिलने के बाद यह जांच की जा रही है कि वह वायरस की चपेट में कैसे आया? पीड़ित व्यक्ति के पुत्र रविन्द्र ने बताया कि उसके पिता और उसके परिवार का कोई यात्रा इतिहास नहीं है। ऐसे में यह जांच का विषय है कि उसके पिता को कोरोना वायरस का संक्रमण कहां से हुआ। 

रविन्द्र ने कहा कि बीती 20-21 मार्च को उसके पिता घरौंडा किराने का सामान लेने गए थे। बीमार होने पर उन्हें कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। रविन्द्र ने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने उनके पिता के इलाज में लापरवाही बरती है। अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद डॉक्टरों ने कोरोना की जांच नहीं करवाई। रविंद्र का कहना है कि यदि डॉक्टर समय से कोरोना वायरस का टेस्ट करवा लेते तो उसके पिता की हालत इतनी नाजुक नहीं होती।